जीवन मंत्र डेस्क. अधिकतर लोग अपने क्रोध की वजह से बड़ी-बड़ी परेशानियों में फंस जाते हैं। गुस्से में बोली गई बातों से रिश्ते खराब हो जाते हैं। जब क्रोध शांत होता है तो पछतावा भी होता है, लेकिन तब तक परिस्थियां बिगड़ जाती हैं। गुस्से को काबू कैसे कर सकते हैं, इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है।
क्रोध को काबू करने का सबसे अच्छा उपाय है मौन रहना। मौन रहने से ही हमारे और दूसरों के क्रोध को काबू किया जा सकता है।
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- प्रचलित कथा के अनुसार पुराने समय में एक महिला क्रोधी स्वभाव की थी। उसे छोटी-छोटी बातों में ही गुस्सा आ जाता था और वह अच्छे-बुरे का भेद भी भूल जाती थी। जो मुंह में आता, बोल देती थी। महिला की वजह से परिवार वाले और गांव के लोग बहुत परेशान थे। गुस्सा शांत होने पर महिला को अपने किए पर पछतावा भी होता था। वह खुद क्रोध को काबू करना चाहती थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी।
- एक दिन उसके गांव में एक संत आए। महिला संत से मिलने पहुंची और अपनी परेशानी बताई। उसने कहा कि मैं मेरा स्वभाव सुधार नहीं पा रही हूं। कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरा स्वभाव हमेशा शांत रहे।
- संत ने महिला की पूरी ध्यान से सुनी और वे समझ गए कि इसकी समस्या कैसे दूर हो सकती है। उन्होंने महिला को एक शीशी दी और कहा कि इसमें दवा है। तुम्हें जब भी क्रोध आए तो इसे मुंह से लगाकर धीरे-धीरे पीना। शीशी को मुंह से तब तक लगाए रखना, जब तक कि तुम्हारा क्रोध शांत न हो जाए। जब इसकी दवा खत्म हो जाए तो आश्रम आकर और ले जाना। कुछ दिनों में तुम्हारा क्रोध खत्म हो जाएगा।
- संत की आज्ञा मानकर महिला ने क्रोध आने पर उस दवा का सेवन करना शुरू कर दिया। एक सप्ताह में ही उसका क्रोध कम होने लगा। खुश होकर वह संत से मिलने पहुंची। महिला ने संत से कहा कि गुरुजी आपकी दवा चमत्कारी है, मेरा क्रोध कम हो गया है।
- संत ने कहा कि इस शीशी में कोई दवा नहीं है, बल्कि सामान्य पानी है। क्रोध के समय तुम्हारी बोली को बंद करना थी, तुम्हें मौन रखना थी, इसीलिए मैंने तुम्हें ये शीशी दी थी। शीशी मुंह पर लगी होने की वजह से तुम क्रोध के समय बोल नहीं पाई, इससे सामने वाले लोग तुम्हारी बातों से बच गए। तुम चुप रही तो दूसरों ने भी पलटकर कोई जवाब नहीं दिया। तुम्हारे मौन रहने से बात बिगड़ने से बच गई। जब हम किसी के क्रोध का जवाब मौन से देते हैं तो बात वहीं खत्म हो जाती है।
क्रोध को काबू करने का सबसे अच्छा उपाय है मौन रहना। मौन रहने से ही हमारे और दूसरों के क्रोध को काबू किया जा सकता है।
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