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इस बार होली पर नहीं रहेगा भद्रा दोष, ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति में होगा होलिका दहन

जीवन मंत्र डेस्क. इस बार 9 मार्च सोमवार को होलिका दहन के समय भद्राकाल की बाधा नहीं रहेगी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा यानी होलिका दहन के दिन भद्राकाल सुबह सूर्योदय से शुरू होकर दोपहर करीब डेढ़ बजे ही खत्म हो जाएगा। इस तरह शाम को प्रदोष काल में यानी शाम 6:30 से 7:20 तक किया जा सकेगा। वहीं पूर्णिमा तिथि रात 11 बजे तक रहेगी।

शुभ योग

9 मार्च को सोमवार व पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र होने से इस दौरान ध्वज योग रहेगा, जो यश-कीर्ति व विजय प्रदान करने वाला होता है। वहीं सोमवार को पूर्णिमा तिथि होने से चंद्रमा का प्रभाव ज्यादा रहेगा। क्योंकि ज्योतिष के अनुसार सोमवार को चंद्रमा का दिन माना जाता है। इसके साथ ही स्वराशि स्थित बृहस्पति की दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी। जिससे गजकेसरी योग का प्रभाव रहेगा। तिथि-नक्षत्र और ग्रहों की विशेष स्थिति में होलिका दहन पर रोग, शोक और दोष का नाश तो होगा ही, शत्रुओं पर भी विजय मिलेगी।

भद्रा काल

9 मार्च सोमवार को भद्रा का वास मृत्युलोक यानी पृथ्वी पर रहेगा, लेकिन भद्राकाल सुबह 6:37 से शुरू होकर दोपहर 1:15 तक ही रहेगा। वहीं शाम को प्रदोषकाल में होलिका दहन के समय भद्राकाल नहीं होने से होलिका दहन शुभ फल देने वाला रहेगा। जिससे रोग, शोक और दोष दूर होंगे।

होलिका दहन की तैयारियां

होलिका दहन के लिए लगभग एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है फिर होली वाले दिन शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाता है। ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन में गाय के गोबर से बने कंडे और कुछ चुने हुए पेड़ों की लकड़ियों को ही जलाना चाहिए। क्योंकि धार्मिक दृष्टि से भी पेड़ों पर किसी न किसी देवता का अधिपत्य होता है। उनमें देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए तीज-त्योहारों पर शास्त्रों में पेड़ों की पूजा करने का भी विधान है, जो हमारे लिए स्वास्थ्य वर्धक व हमारे प्राणों के रक्षक हैं।



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Holi 2020 Date Kab Hai; Holika Dahan Ka Subha Muhurat Auspicious Time, Holi Shubh Yog, Holi Bhadra Dosh and Significance



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