जीवन मंत्र डेस्क. बुधवार, 1 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और गुरुवार, 2 अप्रैल को नवमी है। इन तिथियों पर दुर्गा पूजा के साथ ही कन्याओं की पूजा करने परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं की ही पूजा करनी चाहिए। इससे कम या ज्यादा उम्र वाली कन्याओं की पूजा करने से बचना चाहिए। कन्याओं को भोजन कराएं, धन और फलों को दान करें। अगर संभव हो सके तो उन्हें कुछ उपहार भी दें।
कन्याओं की उम्र के अनुसार को अलग-अलग देवियों का स्वरूप माना गया है। श्रीमद्देवीभागवत महापुराण के तृतीय स्कंध में बताया गया है कि दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है। तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है। चार साल की कन्या को कल्याणी कहलाती है। पांच साल की कन्या रोहिणी, छह साल की कन्या कालिका कहलाती है। सात साल की कन्या को चंडिका, आठ साल की कन्या को शांभवी कहा जाता है। नौ साल की कन्या को दुर्गा का स्वरूप मानते हैं। दस साल की कन्या को सुभद्रा नाम दिया गया है।
दुर्गा में करें मंत्रों का जाप
अष्टमी और नवमी तिथि पर घर के मंदिर में देवी पूजा करें और दुं दुर्गायै नम: मंत्र का जाप करें। देवी दुर्गा को लाल चुनरी चढ़ाएं। दीपक जलाकर मंत्र जाप करें। जाप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए।
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