29 अप्रैल यानी आज सुबह 6 बजकर10 मिनट पर केदारनाथ धाम के पट खुल गए हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस मंदिर के पटहर साल वैशाख महीने यानी मार्च-अप्रैल मेंखोले जाते हैं। करीब 6 महीने तक यहां दर्शन और यात्रा चलती है। इसके बाद कार्तिक माह यानी अक्टूबर-नवंबर में फिर कपाट बंद हो जाते हैं। कपाट बंद होने पर भगवान केदारनाथ को पालकी से उखीमठ ले जाते हैं और वहां ओंकारेश्वर मंदिर में अगले 6 महीनों तक उनकी पूजा की जाती है।
- केदारनाथ उत्तराखंड के 4 धामों में तीसरा धाम है। इसके अलावा ये 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे उंची जगह बना ग्यारहवां शिवलिंग है। महाभारत के अनुसार यहां शिवजी ने पांडवों को बेल के रूप में दर्शन दिए थे। ये मंदिर करीब 1 हजार साल पहले आदि शंकराचार्य ने बनवाया था। ये तीर्थ3,581 वर्ग मीटर की ऊंचाई पर औरगौरीकुंड से करीब 16 किमी दूरी पर है।
8वीं-9वीं शताब्दी में बना मंदिर
स्कंद पुराण के अनुसार, गढ़वाल को केदारखंड कहा गया है। केदारनाथ का वर्णन महाभारत में भी है। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के यहां पूजा करने की बातें सामने आती हैं। माना जाता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिशंकराचार्य द्वारा मौजूदा मंदिर बनवाया गया था। बद्रीनाथ मंदिर के बारे में भी स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में वर्णन मिलता है। बद्रीनाथ मंदिर के वैदिक काल (1750-500 ईसा पूर्व) भी मौजूद होने के बारे में पुराणों में वर्णन है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यहां भी 8वीं सदी के बाद आदिशंकराचार्य ने मंदिर बनवाया।
यहां पांडवों को बैल के रूप में दिए थे दर्शन
- शिव महापुराण की कथा के अनुसार महाभारत युद्ध खत्म होने पर पांडवों ने परिवार और अपने ही गौत्र वालों की हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए वेदव्यास जी से प्रायश्चित का उपाय पुछा। उन्होंने बताया कि इस पाप से मुक्त होने के लिए केदार क्षेत्र में जाकर भगवान केदारनाथ का दर्शन और पूजा करनी चाहिए। इसके बाद पांडव केदारखंड की यात्रा पर गए।
- केदारखंड में पांडवों को देख भगवान शिव गुप्तकाशी में अन्तर्धान हो गए। उसके बाद कुछ दूर जाकर शिवजी ने एक बैल का रूप धारण किया। पांडवों को पता चल गया कि वो शिवजी ही हैं। भगवान शिव ने पांडवों के मन की बात जान ली। इसे बाद वो दलदली धरती में धंसने लगे। भीम ने रोकने के लिए बैल रूपी शिवजी की पूंछ पकड़ ली अन्य पांडव भी करुणा के साथ रोने लगे और भगवान भोलेनाथ की स्तुति करने लगे। इस पर भगवान प्रसन्न होकर उनकी प्रार्थना पर बैल के पीठ के हिस्से में वहीं स्थित हो गए। पाण्डवों ने उनकी पूजा कर के गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति पाई।
महाशिवरात्रि पर तय होती हैं कपाट खुलने की तारीख
उखीमठ के मैनेजर अरूण रतूड़ी के अनुसार केदारनाथ धाम के कपाटखुलने की तारीख और समय फरवरी में महाशिवरात्रि पर ही तय हो जाते हैं। ये मुहूर्त उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारी पंचांग के अनुसार निकालते हैं। कपाट खुलने के मुहूर्त में आमताैर पर अक्षय तृतीया या उसके एक-दो दिन बाद की तारीख तय होती है। 6 महीने तक केदारनाथ यात्रा चलती है। मैनेजर रतूड़ी बताते हैं कि केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की तारीख निश्चित रहती है। हर साल दीपावली के दो दिन बाद भाईदूज पर सुबह पूजा-अर्चना कर मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं। इस साल 16 नवंबर को केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होंगे।
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा
अक्षय तृतीयाके बादउत्तराखंड के चार धामों की यात्रा शुरू हो जाती है। जो कि यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री फिर केदारनाथ और आखिरी में बद्रीनाथ धाम पर पूरी होती है। मैनेजर रतूड़ी ने बताया कियमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर खुल चुके हैं। इसके बादकेदारनाथ धाम के कपाट खुले। कोराेना महामारी के कारण इस बार बद्रीनाथ धाम के कपाटकी तरीख में बदलाव हुआ है। जो कि अब 15 मई को खुलेंगे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ScEVo3
Comments
Post a Comment