कहानी- आज 30 नवंबर को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेवजी की जयंती है। गुरु नानक हमेशा घूमते रहते थे और अपने आचरण से ही शिष्यों को और समाज को सुखी जीवन के संदेश देते थे। उनके आशीर्वाद सभी को आसानी से समझ नहीं आते थे। जो लोग उन्हें जानते थे, सिर्फ वे ही उनकी बातों को समझ पाते थे। उनके आशीर्वाद बहुत सरल होते थे, लेकिन उनका अर्थ काफी गहरा रहता था।
एक बार गुरु नानक अपने शिष्यों के साथ किसी गांव में पहुंचे। उस गांव के लोग बहुत निराले थे। गांव के लोगों को गुरु नानक के बारे में मालूम हुआ तो सभी उनके डेरे पर प्रणाम करने पहुंचे। उस समय गुरु नानक ने लोगों के एक समूह को आशीर्वाद दिया कि 'बस जाओ' यानी यहीं रहने लगो।
कुछ देर बाद एक दूसरा समूह आया तो गुरुनानक ने उन्हें कहा कि 'उजड़ जाओ' यानी बिखर जाओ।
शिष्यों ने गुरु नानक से पूछा, 'ये कैसा आशीर्वाद है? एक समूह को आप कहते हैं बस जाओ और दूसरे समूह को कहते हैं उजड़ जाओ।'
गुरु नानक बोले, 'लोगों का जो पहला समूह आया था, उसके लोग अच्छे नहीं थे। सभी बुरे कामों में लगे रहते हैं। गलत लोग एक ही जगह रुक जाएं, तो अच्छा है। कम से कम समाज में बुराई नहीं फैलेगी। इसीलिए, मैंने उन्हें यहीं बस जाने का आशीर्वाद दिया। दूसरे समूह के लोग अच्छे थे इसलिए मैंने उन्हें उजड़ जाने का आशीर्वाद दिया, ताकि वे जहां जाएंगे अच्छाई फैलाएंगे और समाज का भला करेंगे।'
सीख- गुरु नानक का संदेश ये है कि हमें अच्छाई को फैलाना चाहिए और बुराई को एक ही जगह पर समेट देना चाहिए यानी खत्म कर देना चाहिए। इसी से हमारा और समाज का कल्याण होता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3fOD0AL
Comments
Post a Comment