हर किसी की जिंदगी को उलट-पलट कर देने की अपनी काबिलियत के कारण , साल 2020 इस पीढ़ी पर जरूर एक अमिट छाप छोड़ेगा। अगर हम लड़ाइयों , महामारी , और प्राकृतिक आपदाओं के संदर्भ में पिछली सदी को देखें , तो 21वीं सदी के पहले बीस साल एक आशीर्वाद रहे हैं। पर्यावरण पर दिखते विनाशकारी संकेतों के बीच , जब हमारा पूरा प्रयास भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण के संरक्षण पर केंद्रित होना चाहिए था , वायरस की महामारी हर चीज को राह से डिगा रही है। लेकिन यह महामारी , इतनी हानिकारक होने के बावजूद भी एक हल्की चीज है। नागरिकों की एक सचेतन और जिम्मेदार कार्यवाही से इसे ठंडा किया जा सकता है। बहुत से लोगों ने इस महामारी की तुलना दूसरे विश्वयुद्ध से की है , क्योंकि उन्होंने वो युद्ध नहीं देखा है। अगर हम सब योग और ध्यान में थोड़े बहुत प्रशिक्षित होते , और एक जगह पर चौदह दिन तक बस शांति से बैठे रहते , तो महामारी खत्म हो गई होती। युद्ध एक अलग प्रकृति का था ; हम ऐसी दहशत अब नहीं देखते हैं। आपका घर अभी भी सही सलामत है। किसी ने आप पर बम नहीं फेंका है। लेकिन स्थिति को संभालने के लिए लोगों ने अपना मानसिक लचीलापन पर्याप