हर किसी की जिंदगी को उलट-पलट कर देने की अपनी काबिलियत के कारण, साल 2020 इस पीढ़ी पर जरूर एक अमिट छाप छोड़ेगा। अगर हम लड़ाइयों, महामारी, और प्राकृतिक आपदाओं के संदर्भ में पिछली सदी को देखें, तो 21वीं सदी के पहले बीस साल एक आशीर्वाद रहे हैं। पर्यावरण पर दिखते विनाशकारी संकेतों के बीच, जब हमारा पूरा प्रयास भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण के संरक्षण पर केंद्रित होना चाहिए था, वायरस की महामारी हर चीज को राह से डिगा रही है। लेकिन यह महामारी, इतनी हानिकारक होने के बावजूद भी एक हल्की चीज है। नागरिकों की एक सचेतन और जिम्मेदार कार्यवाही से इसे ठंडा किया जा सकता है।
बहुत से लोगों ने इस महामारी की तुलना दूसरे विश्वयुद्ध से की है, क्योंकि उन्होंने वो युद्ध नहीं देखा है। अगर हम सब योग और ध्यान में थोड़े बहुत प्रशिक्षित होते, और एक जगह पर चौदह दिन तक बस शांति से बैठे रहते, तो महामारी खत्म हो गई होती। युद्ध एक अलग प्रकृति का था; हम ऐसी दहशत अब नहीं देखते हैं। आपका घर अभी भी सही सलामत है। किसी ने आप पर बम नहीं फेंका है। लेकिन स्थिति को संभालने के लिए लोगों ने अपना मानसिक लचीलापन पर्याप्त रूप से नहीं बढ़ाया है। अकाल, लड़ाइयां, महामारी, ज्वालामुखी और भूकम्प की प्राकृतिक आपदाएं हर पीढ़ी में हुई हैं। हमें यह देखने की जरूरत है कि हम इंसान को इस तरह कैसे मजबूत बनाएं कि चाहे जो आ जाए, वे इससे शालीनता से गुजर सकें।
हमारे स्वास्थ्य और नश्वर प्रकृति को वायरस ने चुनौती दी है, लेकिन अब हम, खुद को मानसिक और भावनात्मक रूप से पागल बनाकर अपने लिए एक नई समस्या पैदा कर रहे हैं। अब आत्महत्याएं बढ़ गई है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि एक इंसान के रूप में, एक समाज और एक देश के रूप में, हमें यह शपथ लेनी चाहिए कि हम एक मानसिक स्वास्थ्य या आत्महत्या की महामारी को नहीं होने देंगे। यही समय है जब हमें एक स्थिर, बुद्धिमान और समझदार तरीके से काम करना चाहिए। आपको खुद को पुराने ढंग का एक बेहतर इंसान बनाना होगा। शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक रूप से और काबिलयत के संदर्भ में, उससे 10 प्रतिशत बेहतर बनिए जो आप अभी हैं। हम इसके लिए कई साधन निःशुल्क ऑनलाइन प्रदान कर रहे हैं। वायरस कुछ समय तक अपना नृत्य करेगा। जब इसका नृत्य खत्म हो जाए, तो आपको एक बड़े नृत्य के लिए तैयार रहना चाहिए।
मानव सामर्थ्य में, प्रतिक्रिया करने के बजाय उत्तर देना ही समाधान है, सिर्फ महामारी से बचने के लिए ही नहीं, बल्कि एक अधिक सभ्य और टिकाऊ दुनिया के लिए नई संभावनाएं पैदा करने के लिए भी। बेशक, संभावना और हकीकत के बीच एक दूरी होती है। आने वाले साल में, मेरी कामना है कि खुद को एक बेहतर इंसान और परिणाम स्वरूप एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए, हम सब के पास साहस, प्रतिबद्धता, और चेतना हो।
निराशा नहीं, बल्कि जो चीज संपूर्ण जीवन के लिए मायने रखती हो, उसे बनाने के लिए प्रतिबद्धता ही आगे बढ़ने का तरीका है।
- सद्गुरु, ईशा फाउंडेशन
(सद्गुरु, एक आधुनिक गुरु हैं। 2017 में भारत सरकार ने सद्गुरु को उनके अनूठे और विशिष्ट कार्यों के लिए पद्मविभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है।)
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