अपनी हिंदी:पुस्तक-प्रेमियों के लिए निजी पुस्तकालय किसी ख़ज़ाने से कम नहीं होता, इसलिए इसे अगली पीढ़ी के लिए सहेजना और इसके प्रति लगाव पैदा करना ज़रूरी है
अपनी भाषा और लेखन को मूल्यहीन होने से बचाने की ज़िम्मेदारी हमारी है। इसलिए इस ओर प्रयास भी हमें ही करना होगा।
February 27, 2021 at 05:00AM
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