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संस्मरणात्मक कहानी:फौजी दिवाकरन की दोस्ती ने ना सिर्फ़ उम्र और भाषा का भेद दूर किया बल्कि स्नेह और प्रेम भी सिखा दिया

स्नेह के रिश्ते हर बंधन से परे होते हैं। भाषा के मोहताज तो कतई नहीं। केरल के दिवाकरन के मन में बसा बिछोह का दुख इसी सच को रेखांकित करता है। बालपन के इस संस्मरण में कहानी जैसी रवानी है, वैसी ही रोचकता और लहज़ा। ज़िंदगी का हर दौर एक दिलचस्प कहानी ही तो है। आप भी आनंद लीजिए, फौजी से एक बच्चे की दोस्ती की यादों का।

May 15, 2021 at 05:00AM
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