कहानी:परदेस में अपनेपन की उम्मीद बेमानी-सी होती है, अपने घर अपने देस की बात ही अलग होती है, ये रामलाल समझ चुका था
रामलाल बचपन से ही शहर के प्रति आकर्षण छुपाए हुआ था। घर के झगड़ों ने उसे शहर में रहने का मौक़ा दे दिया। लेकिन जो अपनों की कलह से भागा था, उसने परदेस में ग़ैरों से दुख पाया, तो जाना कि अपने घर, देस, माहौल का क्या मोल होता है।
August 28, 2021 at 05:00AM
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